घृतकुमारी रस
सामग्री-
घृतकुमारी-रस की मात्रा :
- बच्चों के लिए : ५-१० मि.ली. (१-२ चम्मच)
- बड़ों के लिए : १५-२० मि.ली. (३-४ चम्मच)
Aloe Vera Juice Benefits in Hindi [Aloe Vera Juice ke Fayde]
- स्वास्थ्यरक्षक एवं सौंदर्यवर्धक घृतकुमारी ।
- ग्वारपाठा आयुर्वेद के अनुसार अनेक रोगों में उपयोगी, महत्वपूर्ण औषधि है ।
- ‘निघण्टु आदर्श ग्रंथ’ के अनुसार यह सेवन करने वालों को अपने रसायन गुण के द्वारा पुष्टि तथा बल देने का काम करती है ।
- यह स्निग्ध, शीतल, त्रिदोषशामक, रक्तशुद्धिकर, कृमिनाशक, पेशाब को साफ लानेवाली एवं आँखों के लिए लाभदायी है । कब्ज, भूख की कमी, पेट के रोग, पेटदर्द, कृमि, पीलिया, खून की कमी, यकृत की वृद्धि (enlarged liver), तिल्ली का बढ़ना (splenomegaly), गाँठ, घमौरी, फफोले निकलना, चर्मरोग, पुराना (हड्डी का) बुखार आदि तकलीफों में यह अत्यंत लाभदायक है ।
- इसके सेवन से यकृत की क्रिया में सुधार होकर अन्न का पाचन ठीक से होता है । यह पाचनक्रिया को सबल बनाकर सप्तधातुओं का निर्माण उचित रूप से करने में सहायक है, जिससे बल एवं वजन शीघ्रता से बढ़ता है । यह अपने शरीर से विजातीय द्रव्यों (toxins) को दूर करके विभिन्न प्रकार के रोगों से सुरक्षा प्रदान करती है तथा रोगप्रतिकारक शक्ति (immunity) को बढ़ाती है ।
- यह महिलाओं की समस्याओं, जैसे अल्प, पीड़ायुक्त एवं अनियमित मासिक स्राव आदि में लाभकारी है । इसके सेवन से मासिक धर्म की विकृति से होनेवाली आँखों की कमजोरी, खून की कमी, कमरदर्द, बेचैनी, सिरदर्द एवं शारीरिक कमजोरी आदि समस्याएँ भी दूर होती हैं ।
How To Use Aloe Vera Juice – उपयोग विधि [Kaise Upyog Kare] – Dosage
(१) घृतकुमारी रस में २-२ चम्मच नींबू का रस एवं शहद मिलाकर सुबहशाम खाली पेट लेने से पाचनसंबंधी समस्याओं में लाभ होता है ।
(२) घृतकुमारी रस में दो चुटकी हल्दी व १ चम्मच मिश्री मिलाकर दिन में दो बार सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है ।
(३) आधा गिलास (१०० मि.ली.) पानी में ४-४ चम्मच घृतकुमारी रस व आँवले का रस मिलाकर दिन में २ बार लेने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है ।
(४) आधा गिलास पानी में ४-४ चम्मच घृतकुमारी रस व नीम का रस या अर्क मिलाकर दिन में २ बार लें, इससे चर्मरोगों में लाभ होता है ।
(५) घृतकुमारी के २० मि.ली. रस में उतना ही गिलोय का रस मिलाकर प्रतिदिन सुबह खाली पेट पीते रहने से वृद्धावस्था में भी शरीर सशक्त बना रहता है ।
(६) आग से जलने पर, बवासीर एवं दर्द-जलनयुक्त फोड़े पर ग्वारपाठे के गूदे में हल्दी मिलाकर लगाने से जलन एवं दर्द में राहत मिलती है ।
सावधानी-
- गर्भवती व स्तनपान करानेवाली महिलाओं को तथा आँतों की सूजन, पेचिश, पुरानी बवासीर (जिसमें मस्से अधिक फूले हुए हों) में इसका सेवन नहीं करना चाहिए ।
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