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  • अनिद्रा से बचाव और इसके प्रभाव को कम करने में ।
  • मस्तिष्क स्वास्थ्य को बरकरार रखने में (ओजस्वी चाय का न्यूरोप्रोटेक्टिव प्रभाव तंत्रिका संबंधी समस्याओं से बचाव में कारगर हो सकता है । इसमें पार्किंसंस जैसी बीमारी भी शामिल है । अदरक की जड़ का अर्क अल्जाइमर की समस्या से बचाव का काम कर सकता है ।)
  • शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली को मजबूत करने में ।

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ओजस्वी पेय

Ingredients – सामग्री

सोंठ, ब्राह्मी, अर्जुन, दालचीनी, तेजपत्र, शंखपुष्पी, काली मिर्च, रक्तचंदन, नागरमोथ, इलायची, कुलंजन, जायफल, मुलैठी (यष्टिमधु), सौंफ 

तत्व विश्लेषण (Symptoms) :

14 बहुमूल्य औषधियों के संयोग से बनी यह ओजस्वी चाय क्षुधावर्धक, मेध्य व हृदय के लिए बलदायक है यह मनोबल को बढ़ाती है । मस्तिष्क को तनावमुक्त करती है, जिससे नींद अच्छी आती है । यह यकृत के कार्य को सुधारकर रक्त की शुद्धि करती है । इसमें निहित घटक द्रव्य व उनके लाभ :

  • सोंठ : कफनाशक, आमपाचक, जठराग्निवर्धक । सोंठ की तासीर गर्म होती है । सोंठ में आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फाइबर, सोडियम, विटामिन ए और सी, जिंक, फोलिक एसिड, फैटी एसिड के गुण पाए जाते हैं, जो हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होते हैं ।
  • ब्राह्मी :  स्मृति, मेधा शक्ति व मनोबल वर्धक । आयुर्वेद के अनुसार ब्राह्मी बुद्धिवर्धक, पित्तनाशक, मजबूत याददाश्त, ठंडक देने के साथ शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है । ब्राह्मी में एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-डायबिटिक गुण पाए जाते हैं । 
  • अर्जुन : हृदय बलवर्धक, रक्त शुद्धिकर, अस्थि पुष्टिकर । अर्जुन की छाल से हृदय रोग, क्षय, पित्त, कफ, सर्दी, खांसी, अत्याधिक कोलेस्ट्रॉल और मोटापे जैसी बीमारी को दूर करने में मदद मिलती है । खूबसूरती बढ़ाने वाली क्रीम के अलावा स्त्री रोगों में भी यह बहुत काम की औषधि है ।
  • दालचीनी : जंतुनाशक, हृदय व यकृत उत्तेजक, ओजवर्धक । दालचीनी खाने से सांस संबंधी रोग हावी नहीं हो पाते । कोलेस्ट्रोल की समस्या से बचने के लिए दालचीनी का सेवन करन चाहिए । पीरिड्स पेन की समस्या से बचने में दालचीनी बहुत लाभकारी है । शरीर के दर्द को दूर करने में दालचीनी प्रभावी भूमिका निभाती है ।
  • तेजपत्र : सुगंध व स्वाद दायक, दीपन, पाचक । मसाले के तौर पर इस्तेामल होने वाली इन पत्त‍ियों में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं । इनसे तेल भी निकाला जाता है । तेजपत्ते में भरपूर मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट पाया जाता है । इसके अलावा इन पत्तियों में कई तरह के प्रमुख लवण जैसे कॉपर, पोटैशियम, कैल्शियम, गैगनीज, सेलेनियम और आयरन पाया जाता है ।
  • शंखपुष्पी : मेध्य, तनावमुक्त करनेवाली, निद्राजनक । शंखपुष्पी एक प्रकार का फूल है तो आयुर्वेद के औषधि के क्षेत्र में अहम् भूमिका निभाती है । चरकसंहिता के ब्रह्मरसायन में तथा मिर्गी के चिकित्सा में शंखपुष्पी के प्रयोग का उल्लेख मिलता है । इसके अतिरिक्त खांसी की चिकित्सा के लिए अगस्तयहरीतकी योग में और द्विपंचमूलादिघृत में शंखपुष्पी का वर्णन मिलता है । आचार्य सुश्रुत ने भी तिक्त गण में शंखपुष्पी के बारे में चर्चा की है ।
  • काली मिर्च : जठराग्निवर्धक, कफघ्न, कृमिनाशक । यह वात और कफ को नष्ट करती है और कफ तथा वायु को निकालती है । यह भूख बढ़ाती है, भोजन को पचाती है, लीवर को स्वस्थ बनाती है और दर्द तथा पेट के कीड़ों को खत्म करती है । यह पेशाब बढ़ाती है और दमे को नष्ट करती है ।
  • रक्तचंदन : दाहशामक, नेत्रों के लिए हितकर । लाल चंदन के अंदर जेनेस्टिक, अल्फा, वैनेलिक एसिड, बीटा रीसोर्कलिक एसिड जैसे तत्व पाए जाते हैं जो बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं और गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं । यह शीतल, शुष्‍क, कड़वा और पोषक तत्‍वों से युक्‍त होता है । इससे मानसिक विकारों का इलाज किया जा सकता है । लाल चंदन थकान, टॉक्सिसिटी, प्‍यास लगने, बुखार, उल्‍टी और त्‍वचा रोगों में फायदेमंद होता है । अपने शीतल प्रभाव के कारण लाल चंदन गर्म मौसम में खासतौर पर लाभकारी होता है ।
  • नागरमोथ : दाहशामक, पित्तशामक, कृमिघ्न, पाचक । आयुर्वेद मुख्य रूप से विभिन्न औषधीय प्रयोजनों के लिए जड़ों के उपयोग का सुझाव देता हैं । प्राचीन काल से रोगों के उपचार के लिए उपयोग किया जाता है । वे या तो ताज़ा या सूखे या काढ़े में तैयार किए जाते हैं ।
  • इलायची : त्रिदोषशामक, मुखदुर्गंधिहर, हृदय के लिए हितकर । इलायची चबाकर खाने से मुंह से आने वाली बदबू दूर करने में मदद मिलती है । रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने के लिए इलायची का सेवन काफी फायदेमंद माना जाता है । इलायची को भूनकर इसके साथ शहद का सेवन किया जाए, तो यह रोग इम्यूनिटी को मजबूत बनाने के लिए भी सक्रिय रूप से कार्य करेगी ।
  • कुलंजन : पाचक, कंटशुद्धिकर, बहुमूत्र में उपयुक्त । इसके उद्वेष्टनरोधी गुण के कारण श्वास रोग में लाभ होता है । पाचन विकारों में इसके पाचन, दीपन एवं सुगंधि जैसे गुणों के कारण लाभ होता है । मधुमेह एवं अपने आप होने वाले मूत्रत्याग में इसके क्वाथ का प्रयोग लाभकारी । इसकी जड़ को चबाने से मुख की दुर्गंध दूर होती है एवं वाजीकरण के लिए लाभ होता है ।
  • जायफल : स्वर व वर्ण सुधारनेवाला, रुचिकर, वृष्य । भोजन का स्वाद बढ़ाने के लिए जायफल का इस्तेमाल किया जाता रहा है । मिठाइयों और पकवानों में इसका उपयोग किया जाता है । यह फाइबर, पोषक तत्व, एंटी- ऑक्सीडेंट, विटामिन, मिनरल्स व एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है । लेकिन औषधीय तत्वों से भरपूर जायफल कई बीमारियों को भी दूर करता है । यह अस्थमा, पेट के कीड़े, खांसी, उल्टी, सर्दी-ज़ुकाम, बवासीर आदि में लाभप्रद है ।
  • मुलैठी (यष्टिमधु) : कंठ शुद्धिकर, कफघ्न, स्वरसुधारक । एक छोटी बारहमासी जड़ी बूटी है जो परंपरागत रूप से श्वसन सम्बंधी विकार, हाइपरडिप्सिया, मिर्गी, बुखार, यौन दुर्बलता, पक्षाघात, पेट के अल्सर, गठिया, त्वचा रोग, रक्तस्रावी रोगों जैसे कई रोगों के इलाज़ के लिए उपयोग की जाती है ।
  • सौंफ : उत्तम पाचक, रुचिकर, नेत्रज्योतिवर्धक । सौंफ में विटामिन बी-6 भी पाया जाता है, जो कार्बोहाइड्रेट्स को ग्लूकोज और प्रोटीन को अमीनो एसिड में तोड़कर शरीर को ऊर्जा व शक्ति प्रदान करता है ।

Ayurvedic Herbal Tea Benefits in Hindi [Ayurvedic Herbal Tea ke Fayde]

  • अनिद्रा से बचाव और इसके प्रभाव को कम करने में
  • मस्तिष्क स्वास्थ्य को बरकरार रखने में (ओजस्वी चाय का न्यूरोप्रोटेक्टिव प्रभाव तंत्रिका संबंधी समस्याओं से बचाव में कारगर हो सकता है । इसमें पार्किंसंस जैसी बीमारी भी शामिल है । अदरक की जड़ का अर्क अल्जाइमर की समस्या से बचाव का काम कर सकता है ।)
  • शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली को मजबूत करने में
  • मुंह की दुर्गंध को दूर करने में (मुलैठी में मुंह की दुर्गंध को दूर करने वाले गुण पाए जाते हैं । ऐसे में मुलैठी की चाय सांसों की बदबू को दूर कर एक रिफ्रेशिंग एहसास देने में मदद करती है ।)
  • क्रॉनिक यानी लंबे समय से चले आ रहे रोगों में (अदरक का उपयोग कई क्रॉनिक बीमारियों में लाभकारी हो सकता है, खासकर उच्च रक्तचाप और कोरोनरी हार्ट डिसीज़ में । इस आधार पर ओजस्वी चाय के रूप में अदरक की चाय पुराने रोगों में गुणकारी साबित हो सकती है ।)
  • शरीर से जुड़े दर्द से राहत पाने में
  • Herbal Tea for Weight Loss (वजन पर काबू रखने में)
  • पाचन तंत्र में सुधार करने में
  • दस्त, मतली, उल्टी व गैस आदि में राहत पाने में
  • गले के संक्रमण में 
  • चिंता को दूर करने में 
  • रक्तचाप को नियंत्रित रखने में

Additional information

Net Weight (after packaging) 250 g
Product Weight

200 g

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