अपने रक्षक आप
वैसे तो यह पुस्तक ‘अपने रक्षक आप’ हर उम्र-वर्ग के लिए उपयोगी है लेकिन विशेषकर यह युवक वर्ग, जो अपने देश के सुदृढ़ भविष्य का आधार है उसको ध्यान में रखकर बनायी गयी है । भारत का युवक वर्ग जो पहले देशोत्थान एवं आध्यात्मिक रहस्यों की खोज में लगा रहता था, वही अब कामिनियों के रंग-रूप के पीछे पागल होकर, व्यसनी एवं कुसंस्कारी होकर अपना अमूल्य जीवन व्यर्थ में खोता जा रहा है । अपनी संयमशक्ति, संकल्पशक्ति को भूलकर, दुर्व्यसनों में फँसकर स्वयं, परिवार, समाज, राज्य, देश और राष्ट्र के लिए समस्या बनता जा रहा है ।
इन दुर्व्यसनों से युवक बचें और महान बनें – इस हेतु जिन महान विभूतियों ने अपने संयम एवं संकल्पशक्ति का ठीक उपयोग किया और सफल, आदरणीय बने हैं उनके प्रेरक-प्रसंगों, अनुभवों एवं उनके जीवन से जुड़ी सत्य घटनाओं को इस पुस्तक ‘अपने रक्षक आप’ में संकलित किया गया है, जिसे पढ़कर आपको अपने जीवन में एक नयी दिशा, नया उत्साह एवं दिव्य प्रेरणा अवश्य प्राप्त होगी । इस पुस्तक में है :
* जब भारत के एक युवा वीर ने स्वर्ग की अप्सरा का प्रणय निवेदन ठुकराया
* ब्रह्मचर्य-पालन विषय अमेरिकन डॉक्टर की सलाह से उलझन में पड़े युवक को विवेकानंदजी से मिला समाधान
* स्वामी रामतीर्थ व अमेरिकन युवती का प्रसंग
* ‘सिंहों के सिंहासन पर कुतिया का राज !’ ऋषि दयानंद की गर्जना से डरे राजा जसवंत
* वेश्या के मोहपाश में फँसा एक युवक कैसे बना महान संत ‘वेमना’ ?
* सामने खड़ी रूप-यौवनसम्पन्न नारी, फिर भी अपने संयम से न डिगा ‘आजाद’ ब्रह्मचारी
* एक राजकन्या कैसे बनी जैन धर्म की तीर्थंकर मल्लियनाथ ?
* दुबला-पतला, बीमारी से ग्रस्त विद्यार्थी कैसे बना विश्वप्रसिद्ध पहलवान राममूर्ति ?
* प्रसिद्ध गामा पहलवान की सफलता का रहस्य
* संकल्प और पुरुषार्थ से दुर्बल एमाइल चजाया बना पहलवान किंग-कांग
* गृहस्थ जीवन की शोभा (महात्मा गांधी और कस्तूरबा का दाम्पत्य-प्रेम)
* कुप्रसिद्ध डाकू जोगीदास खुमाण को भी सुप्रसिद्ध कर देता है ब्रह्मचर्य
* वर्षों इंतजार के बाद जब स्त्री नजदीक आई तो कैसे बदल गया लुहार का मन और उसने क्या किया ?
* सफल विद्यार्थी बनने हेतु ब्रह्मचर्य-पालन की है नितांत आवश्यकता
* हे युवान ! तेरे लिए असम्भव कुछ नहीं है
– पूज्य संत श्री आशारामजी बापू
Apne Rakshak Aap : Hindi [अपने रक्षक आप]
₹5.00
वैसे तो यह पुस्तक ‘अपने रक्षक आप’ हर उम्र-वर्ग के लिए उपयोगी है लेकिन विशेषकर यह युवक वर्ग, जो अपने देश के सुदृढ़ भविष्य का आधार है उसको ध्यान में रखकर बनायी गयी है । भारत का युवक वर्ग जो पहले देशोत्थान एवं आध्यात्मिक रहस्यों की खोज में लगा रहता था, वही अब कामिनियों के रंग-रूप के पीछे पागल होकर, व्यसनी एवं कुसंस्कारी होकर अपना अमूल्य जीवन व्यर्थ में खोता जा रहा है । अपनी संयमशक्ति, संकल्पशक्ति को भूलकर, दुर्व्यसनों में फँसकर स्वयं, परिवार, समाज, राज्य, देश और राष्ट्र के लिए समस्या बनता जा रहा है ।
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Additional information
| Weight | 40 g |
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