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पर्वों का पुंज : दीपावली
दीपावली उल्लास, आनंद और प्रसन्नता बढ़ानेवाले हमारे पर्वों में अग्रणी स्थान पर है । धनतेरस, काली चौदस, दीपावली, नूतन वर्ष और भाईदूज – इन पाँच दिनों का उत्सव है ‘दीपावली’ । भारतीय संस्कृति के ऋषियों-मुनियों, संतों-महापुरुषों की यह दूरदृष्टि रही है, जो ऐसे पर्वों के माध्यम से वे समाज के लिए आत्मिक आनंद और शाश्वत सुख का मार्ग प्रशस्त करते आये हैं । पूज्य संत श्री आशारामजी बापू द्वारा दीपावली पर्व के निमित्त किये गये सत्संगों का संकलन प्रस्तुत पुस्तक ‘पर्वों का पुंज : दीपावली’ में किया गया है । इस पर्व को कैसे मनायें कि अपने भीतर परमात्म-प्रकाश प्रकाशित हो, यह युक्ति इस पुस्तक में बतायी गयी है ।
इसमें है :
- संत-सम्मत दीपावली मनायें – गरीबों के घर भी दीप जलायें, कपड़े बाँटें, मिठाई खिलायें
- उल्लासपूर्ण जीवन जीना सिखाती है सनातन संस्कृति
- आनंद और उत्सव के इन 5 दिनों में क्या करें ?
- दीपमालाओं का प्रकाश करो पर आत्मज्योति भी जगाओ
- दीपावली पर एक अनूठा आशीर्वाद
- दीपावली मनाने का तात्त्विक दृष्टिकोण
- क्या करें, जिससे आपकी दिवाली रोज बनी रहेगी ?
- लक्ष्मी-पूजन का पौराणिक इतिहास
- माँ लक्ष्मी का निवास कहाँ ?
- लक्ष्मीजी की प्राप्ति किसको ?
- दीपज्योति की महिमा
- दीपावली पर लक्ष्मीप्राप्ति की सचोट साधना-विधियाँ
- उनकी सदा दीवाली है
- पूजन का शास्त्रोक्त विधान
- भारतीय संस्कृति की महक
- नूतन वर्ष संदेश
- नूतन वर्ष की रसीली मिठाई
- भाईदूज : भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक
- दीपावली पर रखें यह सावधानी
- अग्नि-प्रकोप के शिकार होने पर क्या करें ?
- पूज्य संत श्री आशारामजी बापू का दीपावली संदेश
- विजयादशमी पर क्या करें ?
- सच्ची विजय क्या है ? उसे कैसे पायें ?
- दसों इन्द्रियों पर कैसे पायें विजय ?
- ज्ञान-दीप

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